पापा

तुम्हारे होने का एहसास

मेरे साथ चलेगा पापा !

तुम्हारी बाते गूंजती रहेगी

मेरी अस्त-व्यस्त दिनचर्या में

तुम्हारे नाम का सुकून

आ मिलेगा रोटी में नमक बनकर

और बहुत दिनों बाद

जब लगने लगेगा

मैं भूल गया तुम्हें

मेरे चेहरे की लकीरों से

तुम झलकने लगोगे पापा !!

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Nitesh Kumar Patel

The man who writes about himself and his own time is the only man who writes about all people and all time. — George Bernard Shaw