आई.आई.टी. में गुलाब

Nitesh Kumar Patel
1 min readSep 7, 2023

गुलाब

गुलाब को बहुत ज़माने पहले

हम एक फूल समझते थे

एक फूल जो हमारे हिस्से में नहीं था

हम किसान के बेटे थे

हमारे पास सरसों के फूल थे

सहजन के फूल थे

लौकी और कुम्हड़े के फूल थे

यहाँ तक कि कई तरह की घासों के भी फूल थे

हमने फ़िल्मों में देखे गुलाब

उन्हें खिलते हुए नहीं

एक गुलाबी-सी लड़की को

एक ग़रीब और साँवले रंग के लड़के द्वारा

लाल चेहरे और काँपते हाथों से देते हुए

हमने अपनी कॉपियों में गुलाब के फूल नहीं

मोर के पंख रखे

खिलाया उन्हें पिनसिन का भूरा

कि वे एक से दो और दो से चार हो जाएँ||

आई.आई.टी

हम गँवई किसान के बेटे

गिरते थमते IIT आ गये

हम यहाँ टॉपर बनने के लिए नहीं आए थे

न हमें मेडल का वरदान चाहिए था

हम ऐसे भी नहीं थे

न कभी ऐसा होना चाहते थे

कि हमारा इतिहास लिखा जाए

हमारे सपने बहुत छोटे थे

हम हँसना चाहते थे

प्यार करना चाहते थे टूटकर

दोस्ती करना चाहते थे

हमें चहिए थी आज़ादी इतनी

कि हम रो सकें

हम नहीं बनना चाहते थे महापुरुष

हमारा बस इतना ही महत्त्व था

कि हम उन गँवई रास्तों

और संघर्षों की याद दिलाते थे

जिनके निशान हमारे माथे पर

अनपढ़ गवार की मुहर की तरह

सदियों से छपे थे।

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Nitesh Kumar Patel

The man who writes about himself and his own time is the only man who writes about all people and all time. — George Bernard Shaw